देहरादून, 2 मार्च 2025 – उत्तराखंड की अस्मिता और सम्मान की रक्षा के लिए आज देहरादून की सड़कों पर एक विशाल जनसैलाब उमड़ा। विभिन्न संगठनों के नेतृत्व में हजारों लोग दिलाराम चौक पर एकत्र हुए और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मंत्री द्वारा हाल ही में दिए गए आपत्तिजनक बयान को उत्तराखंड की अस्मिता पर हमला बताया और उनके तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।
मामले की पृष्ठभूमि
22 फरवरी 2025 को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़ी समाज के खिलाफ कथित रूप से अशोभनीय टिप्पणी की गई थी। इस बयान के बाद से ही प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया और कई संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए। जनता और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह बयान उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और मूल निवासियों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है।
प्रदर्शनकारियों की मांगें
प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे की मांग ही नहीं की, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा देने की मांग उठाई।
रैली और पुलिस की कार्रवाई
दिलाराम चौक से राजभवन की ओर बढ़ रही इस रैली को पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया, जिससे प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच तनातनी बढ़ गई। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया और नारेबाजी के साथ विरोध दर्ज कराया।
प्रेमचंद अग्रवाल का विवादित इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में आए हैं। पिछले वर्ष भी वे अपने गनर के साथ मिलकर सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र नेगी की पिटाई के मामले में घिरे थे। उस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद उनके खिलाफ प्रदेशभर में रोष पनपा था। अब उनके हालिया बयान ने फिर से जनता को उद्वेलित कर दिया है।
प्रमुख नेताओं और संगठनों की भागीदारी
इस रैली में उत्तराखंड के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होकर भाग लिया। प्रदर्शन में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में मेजर संतोष भंडारी, प्रमिला रावत, आशुतोष नेगी, आशीष नेगी और शांति प्रसाद भट्ट शामिल रहे। साथ ही, मूल निवासी भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति से मोहित डिमरी, लूशुन टोडरिया, प्रमोद कला और पंकज उनियाल भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते नजर आए।
इसके अलावा, उत्तराखंड गौरव सैनिक संगठन के सदस्य भी बड़ी संख्या में शामिल हुए और सरकार को चेतावनी दी कि यदि मंत्री को जल्द बर्खास्त नहीं किया गया, तो आंदोलन और व्यापक होगा।
महिलाओं की भूमिका: आंदोलन की अगुआई कर रही नारी शक्ति
इस आंदोलन में उत्तराखंड की महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर हक-अधिकारों की लड़ाई तक, उत्तराखंड की नारी शक्ति हमेशा अग्रणी भूमिका में रही है। आज की रैली में माताओं, बहनों और बेटियों की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि जब बात सम्मान और अस्मिता की आती है, तो उत्तराखंड की महिलाएं पीछे नहीं हटतीं।
आंदोलन की आगे की रणनीति
प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन प्रदेशभर में बड़े स्तर पर फैल सकता है।