प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड शीतकालीन प्रवास: आस्था, पर्यटन और विकास का संगम

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उत्तरकाशी उत्तराखंड की पावन धरा एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शीतकालीन प्रवास के दौरान मां गंगा की आराधना की और प्रदेश के आध्यात्मिक एवं पर्यटन स्थलों को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आमंत्रण पर उत्तरकाशी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने मुखवा गांव स्थित मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल पर विशेष पूजा-अर्चना कर देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। यह पहला अवसर था जब किसी प्रधानमंत्री ने इस पवित्र स्थल पर विधिवत पूजा की, जिससे पूरे क्षेत्र में हर्ष और गौरव का वातावरण बना।

धार्मिक आस्था का अनूठा संगम

प्रधानमंत्री मोदी ने मुखवा में धार्मिक विधि-विधान से मां गंगा की आराधना कर भोग अर्पित किया। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने पारंपरिक रांसों नृत्य से उनका स्वागत किया, जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत की झलक देश-दुनिया तक पहुंची। मां गंगा के दर्शन के बाद प्रधानमंत्री ने हिमालय की बर्फीली चोटियों के भव्य दृश्य का अवलोकन किया और भागीरथी नदी की शांत, अविरल धारा को निहारते रहे।

हर्षिल घाटी में पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा

मुखवा से प्रधानमंत्री मोदी सड़क मार्ग से हर्षिल पहुंचे, जहां उन्होंने उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों, आध्यात्मिक केंद्रों और साहसिक खेलों की झलक प्रस्तुत की गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ट्रैकिंग एवं बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जिससे प्रदेश में साहसिक पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिलने की उम्मीद है।

‘घाम तापो पर्यटन’ से आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड में ‘घाम तापो पर्यटन’ को प्रोत्साहन दिया, जिससे सर्दियों में भी प्रदेश में पर्यटकों की संख्या बढ़े। योग शिविर, कॉरपोरेट सेमिनार, फिल्म शूटिंग और सोशल मीडिया प्रचार के माध्यम से उत्तराखंड की आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की रणनीति पर बल दिया गया।

उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक क्षण

प्रधानमंत्री की यह यात्रा केदारनाथ धाम के प्रवास की तरह ऐतिहासिक बन गई है। इस यात्रा ने न केवल प्रदेश की धार्मिक और पर्यटन परंपरा को नवजीवन दिया है, बल्कि उत्तराखंड को आध्यात्मिक और साहसिक पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की मजबूत नींव भी रखी है।

मुखवा और हर्षिल को पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाने के प्रयासों को बल मिला है। इस यात्रा को उत्तराखंड की रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री का एक अमूल्य उपहार माना जा रहा है, जिसने राज्य की सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यटन विरासत को एक नई दिशा प्रदान की है।

उत्तराखंड अब सिर्फ चारधाम यात्रा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह ‘वर्षभर पर्यटन’ के केंद्र के रूप में विकसित होगा, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा ने उत्तराखंड को एक नई ऊर्जा और वैश्विक पहचान प्रदान की है, जिसका लाभ आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा।

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