बद्रीनाथ। उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के पास स्थित माणा गांव में शुक्रवार सुबह ग्लेशियर टूटने से भीषण हिमस्खलन हुआ, जिससे 57 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए। अब तक 10 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है, जबकि बाकी 47 मजदूरों की तलाश जारी है। सभी मजदूर सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण कार्य से जुड़े थे। सेना, ITBP, NDRF और SDRF की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
बर्फबारी के कारण तबाही, सेना ने संभाली कमान
बताया जा रहा है कि चमोली जिले के ऊपरी इलाकों में कई दिनों से भारी बर्फबारी हो रही थी, जिससे क्षेत्र में हिमस्खलन का खतरा बना हुआ था। बद्रीनाथ धाम से तीन किलोमीटर दूर यह हादसा हुआ, जहां हाईवे के पास बर्फ का बड़ा पहाड़ टूटकर गिर गया।
माणा गांव भारत-चीन सीमा के पास सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहां सेना का बेस कैंप भी मौजूद है। सेना की आपातकालीन टीमें सबसे पहले राहत कार्य में जुटीं, जबकि ITBP, NDRF और SDRF की टीमें भी तेजी से मौके पर पहुंचीं। देहरादून से कंट्रोल रूम के जरिए लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है।
मौसम की मार: केदारनाथ-बद्रीनाथ हाईवे भी बंद
भारी बर्फबारी के चलते केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में भी हालात गंभीर बने हुए हैं।
जोशीमठ से 45 किलोमीटर दूर इस क्षेत्र में सेना का बड़ा कैंप और अस्पताल मौजूद है, जहां से बचाव दल भेजे गए हैं।
केदारनाथ में तापमान -2 डिग्री तक गिर गया है और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है।
गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे पर बर्फ की मोटी परत जमने से सड़कें बंद हो गई हैं।
गौरीकुंड से नीतिघाटी तक ट्रैफिक बंद कर दिया गया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, हेलीकॉप्टर तैयार
हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र में ITBP की तकनीकी टीमें और सेना की विशेष इकाइयां भेजी गई हैं। हेलीकॉप्टर को भी आपातकालीन मोड में रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत घायलों को निकाला जा सके। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि खराब मौसम बचाव कार्य में बड़ी चुनौती बना हुआ है।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे खतरनाक इलाकों में न जाएं और मौसम विभाग के अलर्ट का पालन करें।