चंबा, टिहरी | उत्तराखंड की अस्मिता और पहाड़ी स्वाभिमान को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच ‘स्वाभिमान मशाल जुलूस’ का आयोजन 1 मार्च 2025 की शाम चंबा के विक्टोरिया क्रॉस अमर शहीद गबर सिंह चौक पर किया गया। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और मशाल जलाकर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की।
“पहाड़ की अस्मिता बचानी होगी!” – गूंजे नारे
मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों ने हिस्सा लिया। अंकित सजवान, प्रभारी टिहरी के आह्वान पर सैकड़ों की संख्या में लोग मशाल लेकर पहुंचे और पहाड़ी अस्मिता को बचाने के लिए एकजुटता दिखाई।
आंदोलनकारियों ने जोरदार नारे लगाए –
- “उत्तराखंड की पहचान को बचाना होगा!”
- “पहाड़ की अस्मिता पर आंच नहीं आने देंगे!”
- “हम अपने जल, जंगल, जमीन की रक्षा करेंगे!”
जनाक्रोश से सरकार पर बढ़ा दबाव
इस मशाल जुलूस से स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि उत्तराखंड की जनता अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बचाने के लिए पूरी तरह संगठित हो रही है। लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन और तेज होगा।
उत्तराखंड की अस्मिता के लिए संघर्ष जारी रहेगा
आयोजकों ने कहा कि यह आंदोलन केवल एक शुरुआत है, और आने वाले दिनों में इसे और व्यापक किया जाएगा। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस संघर्ष में सक्रिय भागीदारी निभाएं और उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने के लिए एकजुट हों।
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