नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़ा बयान दिया। अदालत ने कहा कि दिल्ली में सरकार बदलने से यमुना से जुड़े सभी विवाद हल हो सकते हैं, जिसमें प्रदूषकों से नदी को मुक्त करना और हरियाणा से पानी की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है।
मंगलवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा, ‘दिल्ली में सरकार बदल गई है, अब सभी विवाद सुलझ सकते हैं। इन बदली परिस्थितियों में बेहतर क्रियान्वयन संभव हो सकता है।’
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2021 में यमुना में प्रदूषण और जल बंटवारे के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था और तब से समय-समय पर इस मामले में आदेश पारित कर रही है।
अब तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अब भाजपा की सरकार है। इससे पहले यमुना नदी का नियंत्रण हरियाणा और यूपी सरकारों के पास था, जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार थी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली को आपूर्ति किए जाने वाले यमुना के पानी में “जहर” मिला दिया है। इस दावे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद यमुना नदी पहुंचे और पानी पीकर केजरीवाल के आरोपों को गलत बताया। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल के आरोपों को ‘घृणित’ करार दिया और कहा कि वह 11 वर्षों से यमुना का पानी पी रहे हैं।
यमुना सफाई के लिए मशीनें तैनात
भाजपा ने दिल्ली में सत्ता में आने के बाद यमुना को स्वच्छ बनाने का वादा किया है। इसके तहत पार्टी ने पिछले सप्ताह तीन साल की सफाई योजना शुरू की और नदी की सतह से गंदगी हटाने के लिए आधुनिक मशीनें तैनात की हैं। ये मशीनें जैविक और प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर रही हैं। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने नदी के किनारे स्थित औद्योगिक इकाइयों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जो यमुना में गंदगी डाल रही थीं।
अमोनिया स्तर बढ़ने से पेयजल संकट
हाल ही में यमुना के वजीराबाद बैराज में अमोनिया का स्तर बढ़ गया, जिससे दिल्ली के वजीराबाद और चंद्रावल जलशोधन संयंत्रों (WTP) की जल आपूर्ति बाधित हो गई। इन संयंत्रों से लगभग 15% कम पानी की आपूर्ति हो रही है, जिससे राजधानी के कई इलाकों में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है।
अब देखने वाली बात होगी कि भाजपा सरकार यमुना की सफाई और जल संकट को हल करने के लिए कितनी प्रभावी कार्रवाई करती है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद इस मुद्दे पर राजनीति और तेज हो सकती है।