“भाजपा में संजय विनायक जोशी की वापसी की अटकलें तेज, क्या फिर संभालेंगे संगठन की कमान?”

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विवेक नौटियाल।

नई दिल्ली, 28 फरवरी 2025 – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता संजय विनायक जोशी एक बार फिर चर्चा में हैं। लंबे समय तक संगठन से अलग रहने के बाद, अब उनके भाजपा में पुनः सक्रिय होने की अटकलें तेज हो गई हैं। संघ परिवार से गहरे संबंध रखने वाले जोशी को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी में उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। क्या संजय जोशी की वापसी भाजपा के अंदर नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म देगी? यह सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है। 


संजय विनायक जोशी: एक कुशल संगठनकर्ता और रणनीतिकार

संजय विनायक जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक प्रमुख नेता रहे हैं। उनका जन्म 6 अप्रैल 1962 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक एक इंजीनियरिंग कॉलेज में व्याख्याता के रूप में कार्य किया, लेकिन जल्द ही संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बनने के लिए उन्होंने इस नौकरी को छोड़ दिया।

जोशी ने 1988 में गुजरात भाजपा में प्रवेश किया और वहां पार्टी के संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में 1995 में भाजपा ने पहली बार गुजरात में सरकार बनाई। उनके संगठन कौशल को देखते हुए 2001 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बनाया गया।

इस दौरान, 2001 से 2005 तक, भाजपा ने नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव जीते, और पार्टी का विस्तार पूरे देश में तेजी से हुआ। जोशी की रणनीतियों के कारण भाजपा का जनाधार बढ़ता गया और संगठन को मजबूती मिली।


भाजपा से अलगाव और विवाद

हालांकि, 2012 में उन्हें भाजपा से इस्तीफा देना पड़ा। उनके अचानक संगठन से अलग होने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। कहा जाता है कि गुजरात की राजनीति में उभरते नए नेतृत्व और जोशी के बढ़ते प्रभाव के कारण कुछ नेताओं को असहजता महसूस होने लगी थी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उस समय भाजपा के अंदर ही कुछ गुटबाजी थी, और जोशी की बढ़ती लोकप्रियता से कुछ शीर्ष नेता नाराज थे। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा के एक गुट ने उनके खिलाफ एक अभियान चलाया, जिसके कारण उन्हें संगठन से अलग कर दिया गया

हालांकि, संजय जोशी ने कभी भी पार्टी या शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया और शांत बने रहे। यही कारण है कि उनके प्रति संघ का समर्थन हमेशा बना रहा।


2024 के लोकसभा चुनाव के बाद क्यों हो रही है जोशी की वापसी की चर्चा?

2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया, लेकिन चुनाव के दौरान और उसके बाद पार्टी के भीतर संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करने की जरूरत महसूस की गई। संघ का मानना है कि संजय जोशी जैसे अनुभवी नेताओं की संगठन में वापसी से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में और मजबूती मिलेगी

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) संजय जोशी की वापसी को लेकर गंभीरता से विचार कर रहा है। संघ का मानना है कि जोशी की संगठन पर गहरी पकड़ और अनुभव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।


क्या भाजपा अध्यक्ष पद के लिए हो रही है चर्चा?

राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि भाजपा में बड़े पद के लिए संजय जोशी का नाम सामने आ सकता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक कहा गया है कि जोशी भाजपा अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हो सकते हैं

हालांकि, इस पर भाजपा नेतृत्व ने अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अगर संजय जोशी पार्टी में वापसी करते हैं, तो उन्हें संगठन में कोई महत्वपूर्ण पद मिल सकता है


क्या संजय जोशी की वापसी से भाजपा के अंदर बनेगा नया समीकरण?

अगर संजय जोशी भाजपा में वापस आते हैं, तो इससे पार्टी के अंदर एक नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के लिए यह चौंकाने वाली वापसी हो सकती है, क्योंकि जोशी की संगठन पर मजबूत पकड़ और संघ के साथ नजदीकी उन्हें एक शक्तिशाली नेता बना सकती है

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जोशी को भाजपा में महत्वपूर्ण पद मिलता है, तो इससे उन नेताओं को झटका लग सकता है जो अब तक संगठन में एकाधिकार बनाए हुए थे।


संभावित असर और भविष्य की राजनीति

  1. भाजपा के संगठन को मजबूती मिलेगी – संजय जोशी के आने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में लाभ मिल सकता है।
  2. संघ और भाजपा के संबंध और प्रगाढ़ होंगे – जोशी संघ के करीबी माने जाते हैं, इसलिए उनकी वापसी से भाजपा और आरएसएस के बीच तालमेल और मजबूत हो सकता है।
  3. गुजरात और महाराष्ट्र की राजनीति पर असर – अगर जोशी भाजपा में कोई महत्वपूर्ण पद पाते हैं, तो इसका असर गुजरात और महाराष्ट्र की राजनीति पर भी पड़ सकता है।

निष्कर्ष

भाजपा में संजय जोशी की वापसी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करेगा। संघ का झुकाव अगर जोशी की ओर रहता है, तो यह उनकी भाजपा में वापसी का रास्ता साफ कर सकता है

अब देखना यह होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पर क्या रुख अपनाता है और संजय जोशी को संगठन में कौन सी भूमिका सौंपी जाती है। अगर उनकी वापसी होती है, तो यह भाजपा की आंतरिक राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है

 

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