होली का इतिहास: क्यों मनाया जाता है रंगों का यह पावन पर्व?

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नई दिल्ली, 14 मार्च: होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि धार्मिक, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व से भरपूर एक ऐतिहासिक पर्व है। सदियों से यह त्योहार असत्य पर सत्य की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत, और प्रेम व भाईचारे का प्रतीक बना हुआ है। भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में लोग इसे अलग-अलग रूपों में मनाते हैं। आइए जानते हैं होली के इतिहास, मान्यताओं और परंपराओं के बारे में।


होली का पौराणिक इतिहास: भक्त प्रह्लाद और होलिका दहन

होली का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध पौराणिक संदर्भ भक्त प्रह्लाद और दैत्यराज हिरण्यकश्यप से जुड़ा है।

होलिका दहन की कथा

  • कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था, जिसने खुद को भगवान घोषित कर दिया था।
  • लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। यह बात हिरण्यकश्यप को स्वीकार नहीं थी।
  • उसने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की।
  • अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने का प्रयास किया।
  • लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई

नृसिंह अवतार और हिरण्यकश्यप वध

  • जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की ठानी, तब भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया और असत्य व अधर्म का अंत किया
  • इसी उपलक्ष्य में होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी होली के एक दिन पहले मनाई जाती है।

कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से जुड़ी होली

होली को भगवान कृष्ण और राधा की अमिट प्रेम कहानी से भी जोड़ा जाता है।

ब्रज, मथुरा और वृंदावन की होली

  • मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ होली खेली थी।
  • कृष्ण के गहरे सांवले रंग की वजह से वे हमेशा चिंतित रहते थे कि राधा उनसे प्रेम करेंगी या नहीं
  • उनकी माता यशोदा ने कहा कि वे राधा को भी अपने रंग में रंग सकते हैं, और तभी से रंगों की होली का प्रचलन शुरू हुआ
  • मथुरा, वृंदावन, और बरसाना में लठमार होली, फूलों की होली और ग़ुलाल होली की परंपरा इसी प्रेम कथा से जुड़ी हुई है।

मुगलकाल और मध्यकालीन भारत में होली

  • प्राचीन काल से लेकर मुगलकाल तक, होली को सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी मनाते थे
  • मुगल सम्राट अकबर, जहांगीर और शाहजहां के दौर में भी होली बड़े पैमाने पर मनाई जाती थी।
  • ऐतिहासिक ग्रंथों और चित्रों में राजमहलों और दरबारों में होली खेलने के कई प्रमाण मिलते हैं
  • मुगल शासक बहादुर शाह जफर भी होली में शामिल होते थे और इस पर कविताएं लिखी गईं।

अंग्रेज़ों के समय की होली

  • ब्रिटिश राज के दौरान, अंग्रेज़ अधिकारियों ने भारतीय त्योहारों को दबाने की कोशिश की, लेकिन होली का जोश कभी कम नहीं हुआ
  • कई जगहों पर होली के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने गुप्त बैठकें कीं, जिससे यह त्योहार राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता संग्राम का भी प्रतीक बन गया

होली का सांस्कृतिक महत्व और आधुनिक परंपराएं

आज होली सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पर्व बन चुका है, जो पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

भारत में विभिन्न प्रकार की होली:

होली के आधुनिक रूप:

  • ऑर्गेनिक रंगों का चलन बढ़ा है ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंचे।
  • ड्राई होली (कम पानी वाली होली) को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे जल संरक्षण हो।
  • होली म्यूजिक फेस्टिवल्स और डीजे पार्टियों का ट्रेंड युवाओं में लोकप्रिय हो रहा है।

“द भारत पल्स” की ओर से शुभकामनाएं!

होली का त्योहार हमें सिखाता है कि जिंदगी में हर रंग का महत्व है—प्यार, खुशी, दोस्ती और भाईचारा।

  • आइए इस होली को सौहार्द, प्रेम और खुशियों के रंगों से मनाएं
  • प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें, पानी की बर्बादी से बचें और सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाएं

आपकी होली कैसी रही? अपनी तस्वीरें और वीडियो हमें भेजें, जिन्हें हम ‘The Bharat Pulse’ पर प्रकाशित करेंगे!

“होली है! रंगों के इस उत्सव को दिल से मनाइए!”


 

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