देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ों में हो, यह सपना राज्य गठन के समय से ही जनभावनाओं से जुड़ा रहा है। 4 मार्च 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए गैरसैण (भराड़ीसैंण) को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। आज इस ऐतिहासिक निर्णय को 5 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन स्थायी राजधानी को लेकर अब भी सवाल बने हुए हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का फैसला: स्थायी राजधानी की ओर पहला कदम
उत्तराखंड में राजधानी को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी। राज्य आंदोलनकारियों और पहाड़ी क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि राजधानी पहाड़ों में हो, ताकि पर्वतीय क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सके। इसी को ध्यान में रखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने 4 मार्च 2020 को गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का मानना था कि गैरसैण को राजधानी बनाना उत्तराखंड के संतुलित विकास के लिए जरूरी है। उनका यह निर्णय स्थायी राजधानी की दिशा में बढ़ाया गया पहला बड़ा कदम था, जिससे गैरसैण को भविष्य में स्थायी राजधानी बनाने की नींव रखी गई।
5 साल बाद भी अधूरी राजधानी का सपना
हालांकि, गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित हुए 5 साल हो चुके हैं, लेकिन अब भी यह पूरी तरह विकसित नहीं हो सकी है।
- प्रशासनिक भवन, कर्मचारियों के आवास और अन्य सुविधाओं का विकास अधूरा है।
- हर बजट सत्र में सरकार गैरसैण जाती है, लेकिन बाकी समय यहां प्रशासनिक गतिविधियां न के बराबर होती हैं।
- क्या गैरसैण केवल एक प्रतीकात्मक राजधानी बनकर रह जाएगी?
क्या गैरसैण स्थायी राजधानी बनेगी?
गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के फैसले को स्थायी राजधानी की दिशा में पहला कदम माना गया था, लेकिन क्या अब उत्तराखंड सरकार इसे स्थायी राजधानी बनाने का निर्णय लेगी?
त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा रखी गई यह नींव भविष्य में उत्तराखंड की स्थायी राजधानी का आधार बनेगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।