नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया संघ मुख्यालय दौरे के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में एक बार फिर से पुराने संगठन मंत्री संजय जोशी की वापसी की चर्चा तेज हो गई है। संयोगवश, 6 अप्रैल को संजय जोशी का जन्मदिन भी है, जो कि बीजेपी के स्थापना दिवस और इस बार रामनवमी के पर्व के साथ पड़ रहा है। ऐसे में उनके समर्थकों को उम्मीद है कि साल 2025 में उनका राजनीतिक वनवास खत्म हो सकता है।
क्या संजय जोशी की मुख्यधारा में वापसी संभव?
पीएम मोदी की नागपुर यात्रा के बाद संजय जोशी के समर्थक उत्साहित हैं। संजय जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्णकालिक प्रचारक रहे हैं और 2001 से 2005 तक बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री भी रह चुके हैं। उनके समर्थकों को उम्मीद है कि जब इसी साल अक्टूबर में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो उससे पहले संजय जोशी को एक नई भूमिका दी जा सकती है।
संजय जोशी और पीएम मोदी का पुराना साथ
संजय जोशी और नरेंद्र मोदी ने 1988 से 1995 तक गुजरात में साथ काम किया था। 1995 में जब पहली बार बीजेपी ने गुजरात में सत्ता हासिल की, तब संजय जोशी संगठन की रीढ़ माने जाते थे। हालांकि, 2011 में नितिन गडकरी के अध्यक्ष रहते हुए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया था, और तब से वे राजनीति में निष्क्रिय बने हुए हैं।
संघ के 100 साल और पीएम मोदी के 75 साल
सितंबर 2025 में RSS अपने 100 साल पूरे करेगा, और इसी महीने पीएम नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे। ऐसे में संजय जोशी की वापसी को लेकर अटकलें तेज हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भले ही जोशी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद न मिले, लेकिन उनकी संगठन में सक्रियता बढ़ सकती है।
क्या वाकई वापसी करेंगे संजय जोशी?
संजय जोशी के जन्मदिन पर कई स्थानों पर पोस्टर भी देखे गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके समर्थकों में नई ऊर्जा है। हालांकि, अंतिम फैसला बीजेपी नेतृत्व और आरएसएस पर निर्भर करेगा कि वे संजय जोशी को दोबारा पार्टी की मुख्यधारा में लाने का निर्णय लेते हैं या नहीं।
आने वाले दिनों में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बेंगलुरु में होने वाली है, जिसमें नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा संभव है। इस बैठक में संजय जोशी की भूमिका को लेकर भी कोई संकेत मिल सकते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि संजय जोशी की वापसी की यह अटकलें हकीकत में बदलती हैं या नहीं।